कोरोना की शिकार महिला डॉक्टर की कहानी उन्हीं की जुबानी

कोरोना की शिकार महिला डॉक्टर की कहानी उन्हीं की जुबानी

सेहतराग टीम

कोरोना के कहर से पूरी दुनिया आहत है। कोई ऐसा वर्ग नहीं है जो इससे अछूता है। ब्रिटेन की एक महिला डॉक्टर भी कोरोना की चपेट में आ गईं। हालांकि उन्होंने समय रहते सावधानी बरती और ठीक हो गईं।, लेकिन कोरोना को दुनियाभर का अबतक का सबसे भयावह वायरस मानती हैं।

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लंदन की डॉ. क्लेयर गेरेडा (60) मनोचिकित्सक हैं। रॉयल कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिसर के साथ जुड़ी रही हैं। हाल ही में वायरस की चपेट में आ गईं लेकिन सावधानी और इलाज से सात दिन में ठीक हो गईं। वे कहती हैं कि अब तक के जीवन में इससे भयावह कष्ट नहीं सहा था। ये प्रसव पीड़ा से भी खतरनाक था। वे कहती हैं कि वायरस सांस के जरिए शरीर में में पहुंचता तो गले के पिछले हिस्से और नाक की लाइनिंग जिसे म्यूकोसा कहते हैं। उसे अपने काटें से बुरी तरह से जकड लेता है, जिससे वे काम नहीं कर पाती हैं।

वायरस नाक के पिछले हिस्से में जाता है तो कोशिकाओं को संक्रमित करता है। इसके बाद कोशिकाओं को अपना काम करने से रोकता है। कोशिकाओं में मौजूद वायरस बनाने जब और अधिक वायरस बनाने लगता है तो यह फैट जाता है और दूसरी कोशिकाओं को अपनी चपेट में लेता है।

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मैं ऐसे कभी बीमार नहीं हुई थी-

मुझे पता था कि मैं कोरोना की चपेट में आ गयी हूं क्योंकि मैं ऐसे कभी बीमार नहीं हुई थी। जब मुझे पहला लक्षण दिखा मैं खाना तक नहीं खा पाई और दो दिन तक भूखे ही रही। मैं बिस्तर पर गई तो सोती ही रह गई क्योंकि मेरे शरीर का तापमान सामान्य से बहुत अधिक था। इसके बावजूद मैं पानी पीती रही। मैं चाय नहीं पी सकती थी क्योंकि मेरे मुंह और गले में खराश थी। घंटे भर के भीतर मेरे नाक और मुंह में अल्सर जैसा हो गया है। मैं सिर्फ सोना चाहती थी, लेकिन हर आठ घंटे के अंतराल पर बुखार की दवा लेती रही।

मैंने पति को फोन कर घर बुलाया-

तकलीफ बढ़ने पर मैंने पति साइमन को फोन कर घर बुलाया लेकिन उन्हें दूर रहने को कहा। हम दोनों अलग-अलग कमरे में सोए। मैंने अपने सभी बर्तनों को डिशवाशर में दाल दिया। हम जांच के लिए अस्पताल घर पहुंचे तो जांच में कोरोना की पुष्टि हुई। लेकिन मैं घबराई नहीं, क्योंकि इस वक्त तक अच्छा महसूस कर रही थी। मेरा बुखार कम हो रहा था और मुझे इसके लिए दवा नहीं लेनी थी। मैं दो दिन बाद पूरी तरह सामान्य थी और मैंने अपना काम संभाल लिया था।

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मैं सिर्फ सात दिन तक बीमार रही-

हम सब डर जाते हैं। इसी कारण हमारा शरीर हमारा साथ नहीं देता है। मैं सिर्फ सात दिन बीमार रही। 60 साल की इस उम्र में मेरा शरीर वायरस से लड़ा। इसी का नतीजा है कि मेरे फेफड़े, हृदय और किडनी पूरी तरह सुरक्षित हैं। हां ये जरूर है कि मेरे गले में और नाक का अल्सर अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है, लेकिन समय के साथ ठीक हो जाएगा। समय रहते ध्यान रखेंगे और सावधानी बरतेंगे तो बचाव संभव है।

 

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